सकड़ा के प्राथमिक विद्यालय को सुव्यवस्थित बनाने में मनरेगा ने निभाई भूमिका,मनरेगा से सुंदर,सुसज्जित हुआ सकड़ा का प्राथमिक शिक्षा मंदिर
- रवि सिंह –
बैकु΄ठपुर 03 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। अगर आपके अंदर इच्छा शक्ति है और आप कुछ कर गुजरने की चाहत रखते हैं तो परिस्थितियां खुद ब खुद मददगार बनने लगती हैं। ऐसा ही एक वाक्या जिला कोरिया के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र सकड़ा का है। यहां बच्चों की शिक्षा के लिए बनाए गए, प्राथमिक विद्यालय में पहले बहुत सी आवश्यक चीजें ना होने से एक नैराश्य का भाव रहता था। परंतु यहां पदस्थ एक शिक्षक के मनोयोग, मनरेगा के आर्थिक सहयोग और ग्रामीणों के परिश्रम की सकारात्मक पहल से यह विद्यालय दर्शनीय हो चुका है। साथ ही ग्राम पंचायत सकड़ा का यह प्राथमिक विद्यालय अब जिले के साथ ही प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट प्राथमिक विद्यालयों में शुमार हो चुका है। इन बच्चों के लिए सुरक्षित परिसर और सुव्यवस्थित मैदान, भोजन शेड जैसी आवष्यक कमी को दूर करने में महात्मा गांधी नरेगा ने अहम भूमिका निभाई है। साथ ही यहां पदस्थ एक षिक्षक के भागीरथ प्रयास के बाद गांव में पालकों और बच्चों में षिक्षा के प्रति जागरूकता की ऐसी अलख जगी है कि ग्रामीण विद्यालय के समर्पित भाव से श्रमदान करने लगे हैं और यहां पढ़ने वाले आदिवासी बच्चे भी उत्साह और आत्मविष्वास से लबरेज होकर अंगे्रजी में बात करने लगे हैं। विषेष रूप से उल्लेखनीय यह भी है कि यहां के विद्यालय के बच्चे अब एकलव्य विद्यालय जैसे उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थानों में भी प्रवेष पाने में सफल होने लगे हैं।
शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का भी सहयोग
इस विद्यालय के लिए समर्पण का भाव रखने वाले शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष कमोद सिंह भी एक बेहद संवेदनशील और जागरूक ग्रामीण हैं। उन्होने लाकडाउन के दौरान निरंतर लगभग दो वर्षों तक बिना किसी अवकाश के इस परिसर में पूरे निर्माण कार्यों में निरंतर तराई, देखरेख, ग्रामीणों के द्वारा जनसहयोग से लगाए गए सजावटी पौधों की देखभाल की और सिंचाई गुड़ाई करते रहे। इस संबंध में उन्होने बताया कि यह विद्यालय हमारे गांव की नई पीढ़ी का निर्माण कर रहा है इसलिए हम सब मिलकर इसे सुव्यवस्थित बनाकर रखते हैं। इससे बच्चों को एक अच्छा माहौल मिलता है और सारे बच्चे स्वस्थ रहकर खेलते हुए अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस विद्यालय में वर्तमान में कुल 84 बच्चे दर्ज हैं और खास बात यह है कि विद्यालय के सुंदर परिसर और बेहतर शिक्षा प्रणाली के कारणश-प्रतिशत बच्चे नियमित विद्यालय आने लगे हैं।
शिक्षा-दीक्षा के लिए चहुंमुखी प्रयास
देश में बच्चों को समाज का भविष्य कहा जाता है। इसलिए उनकी शिक्षा-दीक्षा के लिए चहुंमुखी प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन सुदूर ग्रामीण अंचलों तक सारी सुविधाएं पहुंच पाने में अब भी कहीं न कहीं कमी रह जा रही है। बच्चों के लिए अच्छे खेल उपकरण, भोजन के लिए अच्छी बैठक व्यवस्था, सुंदर मैदान और सुरक्षित परिसर की उपलब्धता सभी जगह नहीं हो पाती है। इसी तरह की कमियों से जूझते प्राथमिक विद्यालय सकड़ा में आज सारी व्यवस्थाएं एक अंग्रेजी माध्यम के निजी विद्यालय को मात दे रही हैं। इस विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुव्यवस्थित परिसर का अंदाजा, यहां उपलब्ध सारी सुविधाओं की भौतिक स्थिति और बच्चों का स्तर देखकर ही लगाया जा सकता है। आप इस विद्यालय परिसर में प्रवेश करेंगे तो प्राथमिक स्तर में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चे स्वयं का परिचय देकर आपसे अंग्रेजी में ही आपका परिचय पूछेंगे। आज इस विद्यालय के पास सुंदर, सुसज्जित एक व्यवस्थित और सुरक्षित परिसर है जहां गांव के नौनिहाल खुश होकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
शिक्षक रूद्र प्रताप सिंह राणा ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया
ग्राम पंचायत सकड़ा के वर्तमान सरपंच शंकर सिंह पोर्ते कहते हैं कि इस विद्यालय के लिए शिक्षक रूद्र प्रताप सिंह राणा ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया है उनकी प्रेरणा से अब गांव के ग्रामीणों में बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूकता आई है। मनरेगा की मदद से विद्यालय अब सुंदर और सुविधायुक्त हो गया है तो बच्चों में भी विद्यालय के प्रति प्रेम बढ़ा है अब बच्चे नियमित विद्यालय जाने लगे हैं। उनके षिक्षा का स्तर भी निरंतर प्रगति कर रहा है। सरपंच श्री पोर्ते ने बताया कि पूर्व सरपंच श्रीमती जयमन बाई ने विद्यालय के शिक्षकों की मांग पर विद्यालय परिसर के उन्नयन के लिए ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पारित किया जिससे गांव के प्राथमिक विद्यालय में भोजन के लिए सुरक्षित कमरा और पूरे परिसर की पक्की घेराबंदी करने के लिए अहाता निर्माण का कार्य प्रस्तावित किया गया। इसे ग्राम वासियों के पूरे समर्थन से पारित कर दिया गया था। ग्राम सभा से पारित निर्णय के आधार पर मनरेगा योजना के तहत बनाए गए तकनीकी प्रस्ताव के आधार पर इस विद्यालय में परिसर के लिए एक अहाता, भोजन करने के लिए हाल व अन्य कार्य कराए जाने के लिए जिला पंचायत से दो वर्ष पूर्व प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई। जिसके बाद यह कार्य जनसहयोग से पूरा कराया गया और परिसर अब बेहद सुंदर हो गया है।
विद्यालय में पहले केवल भवन मात्र था
विद्यालय के प्रधानपाठक दिलीप सिंह मार्को ने बताया कि इस विद्यालय में पहले केवल भवन मात्र था, इस विद्यालय के प्रति बच्चों और उनके पालकों का झुकाव यहां पदस्थ शिक्षक रूद्र प्रताप सिंह राणा के अथक प्रयास से संभव हुआ। इसके बाद ग्रामीणों ने ग्राम सभा में विद्यालय के उन्नयन के लिए कार्य कराए जाने की मांग की और जब यहां उन्नयन के लिए कार्य स्वीकृत हुए तो महिलाओं और पुरूषों ने बढ़-चढ़कर विद्यालय को सुंदर बनाने के लिए अपना तन मन और धन भी समर्पित किया। अब हमारा विद्यालय पूरे जिले के लिए एक आदर्श की भांति हो गया है। अपने सम्मान के लिए आयोजित एक समारोह में शिक्षक रूद्र प्रताप राणा ने बच्चों के आने जाने के लिए एक ई-रिक्षा की मांग की तब उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदित्येष्वर शरण सिंहदेव ने इस विद्यालय के लिए एक ई-आटो भी प्रदान कर दिया। अब विद्यालय के शिक्षक इससे खराब मौसम में भी बच्चों को विद्यालय लाने के लिए भी करते हैं।
विद्यालय में बेहतर सुविधा
इस विद्यालय में हुए कार्यों के बारे में पदस्थ शिक्षक रूद्रप्रताप सिंह राणा ने बताया कि बच्चों को पढ़ाने के लिए पहले संसाधन कम पड़ते थे लेकिन हम निरंतर प्रयास करते रहे, बच्चों को शिक्षा के प्रति उत्साहित करने के लिए खेल के माध्यम से शिक्षा देने का चलन प्रारंभ किया। इसके सुखद परिणाम मिले जब जागरूक होकर बच्चे नियमित पढ़ने लगे तब ग्रामीणों को भी अपने बच्चों का स्तर देखकर विद्यालय के प्रति समर्पण बढ़ गया। यहां महात्मा गांधी नरेगा के तहत पूरे परिसर का पक्का घेराव किया गया और बच्चों के लिए एक बड़ा स्टेजनुमा कक्ष बनाया गया है जिसका बच्चे कई तरह से उपयोग करते हैं इसमें बच्चे मघ्यान्ह भोजन आराम से करते हैं और बच्चों की कोरोना से सुरक्षा रखते हुए पढ़ाई भी हो जाती है साथ ही यह एक मंच के रूप में भी काम आता है। यहां स्वीकृति से प्राप्त हुए राशि के अलावा जनसहयोग से बच्चों के लिए गार्डन, पाथवे और खेल उपकरणों का निर्माण कर लिया गया है। इससे विद्यालय एक नई पहल और उत्साह के साथ उत्कृष्टता की ओर बढ़ चला है।