अमरिंदर की अमित शाह से भेंट पर सियासत गरमाई

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बड़ा सवाल- क्या होगा पूर्व सीएम का अगला कदम


चंडीगढ़, 29 सितम्बर 2021 (ए) । पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की आज शाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद राज्‍य की सियासत गर्मा गई। इस मुलाकात के बाद पंजाब के सियासी गलियारे में कयासबाजी तेज हो गई। इन सबके बीच बड़ा सवाल उठ रहा है कि कैप्टन का अगला कदम क्‍या होगा। दूसरी ओर, पंजाब की राजनीति में किसान आंदोलन के कारण‍ विरोध का सामने कर रही भाजपा को इससे राज्‍य में बड़ी राहत मिलने की उम्‍मीद है। यदि कैप्‍टन भाजपा के करीब आते हैं तो 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में सियासी समीकरण काफी बदल जाएगा।
सियासी जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह‍ से मुलाकात के बाद पंजाब में सियासी समीकरण बदलने के आसार हैं। इस घटना क्रम से पंजाब की सियासत में हलचल तेज हो गई है। पूरे घटनाक्रम से कांग्रेस के नेता सकते में हैं।
पंजाब के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि कैप्टन अमरिंदर भाजपा में शामिल होते हैं या उसके करीब जाते हैं तो कांग्रेस के लिए पंजाब में बड़ा झटका होगा। जानकारों का कहना है कि सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफे के बाद यदि कैप्टन पार्टी छोड़ते हैं तो कांग्रेस के लिए स्थिति न घर के रहे न घाट के वाली हो जाएगी। कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम रहते पंजाब में कांग्रेस विधानसभा चुनाव में फिलहाल सबसे आगे लग रही थी, लेकिन सिद्धू को खुली छूट देना भारी पड़ता दिख रहा है।
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने सभी सियासी विकल्प खुले रहने की बात की थी। इसके बाद मंगलवार को अचानक उनके दिल्‍ली जाने से पंजाब की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। उस समय कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रहे रवीन ठुकराल ने इन चर्चाओं को महज अटकलाबाजी करार दिया था।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के भाजपा से करीब जाने से भाजपा को पंजाब में बड़ी सियासी संजीवनी मिलेगी। इसके साथ ही 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव बेहद रोचक हो जाएगा। पूरे मामले में सवाल यह भी है कि क्‍या कैप्‍टन अमरिंदर सिंह किसानों का आंदोलन खत्म कराने में क्या भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही यह भी कयासबाजी चल रही है कि कैप्‍टन को भाजपा में शामिल होने पर बड़ी भूमिका मिल सकती है। कैप्‍टन मुख्‍यमंत्री रहते केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को रद करने और किसानों के मसले के समाधान करने की मांग कर रहे थे।
आखिर लोग क्यों छोड़कर जा रहे कांग्रेस, सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई जाए : कपिल सिब्बल
कांग्रेस में सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके फिर से कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस के पास कोई अध्यक्ष नहीं है। उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाने की मांग की है।
सिब्बल ने कहा, मैं आपसे उन कांग्रेसियों की ओर से बोल रहा हूं जिन्होंने पिछले साल अगस्त में कांग्रेस वर्किंग कमेटी और सेंट्रल इलेक्शन कमेटी को पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए पत्र लिखा था और हम अभी तक इसका इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों के कांग्रेस छोड़ने पर खुद से सवाल है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद पार्टी छोड़कर चले गए। लोगों का पार्टी से जाना बंद नहीं हुआ तो पार्टी का भारी नुकसान होगा। मैं पार्टी का नुकसान होते नहीं देख सकता। मैं पार्टी के साथ हूं, किसी व्यक्ति के साथ नहीं। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी में चर्चा हो कि ऐसा क्यों हो रहा है। सोचना होगा कि कांग्रेस कैसे आगे बढ़े। पार्टी के अंदर संवाद की जरूरत है। आपसी बातचीत से मामले सुलझाए जाएं। सिब्बल ने कहा कि मैंने कभी पार्टी के खिलाफ बयान नहीं दिया। उन्होंने मजबूत विपक्ष की बात उठाते हुए कहा कि कांग्रेस को मजबूत होना होगा। अगर कांग्रेस कमजोर होगी तो विपक्ष भी कमजोर होगा। हम संसद में अपनी आवाज कैसे उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि जो लोग इनके खासमखास थे, वो तो इनको छोड़के चले गए और जो लोग ये समझते हैं, इनके खासमखास नहीं हैं, वो आज भी उनके साथ हैं। कांग्रेस पार्टी की स्थिति यही है। मैं तो यही कहूंगा कि हिन्दुस्तान के हर कांग्रेसी को अब ये सोचना चाहिए कि पार्टी कैसे आगे मजबूत की जाए, पार्टी आगे कैसे बढ़े? मैं तो यह भी कहूंगा कि ये जो कांग्रेसी हमें छोड़कर चले गए, वापस आएं। कांग्रेस एक विचारधारा है जो इस देश की बुनियाद है, जिसके आधार पर हमारी रिपब्लिक बनी थी, उसको कांग्रेस बरकरार रख सकती है।


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