आरोप पत्र दायर होने के बावजूद टीम गठित करने के लिए किसका इंतजार?,विभागीय जांच संस्थित होने के छः माह बाद भी नहीं हो पा रही है जांच शुरु
रवि सिंह-
बैकु΄ठपुर 21 सितम्बर 2021 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के बैकुंठपुर की पूर्व तहसीलदार के कार्यकाल की अनियमितताओं को लेकर तात्कालीन कलेक्टर कोरिया ने तहसीलदार के विरुद्ध विभागीय जांच की अनुसंशा की थी, लेकिन जांच संस्थित किये जाने की अनुसंशा को अब 6 माह बीतने को हैं और अभी तक जांच दल का गठन नहीं किया जा सका है। जबकि आरोप पत्र दायर किये जाने के बाद जांच दल का गठन हो जाना था और जांच शुरू भी हो जानी थी जो अबतक शुरू नहीं हो सकी है।
ज्ञात हो कि कोरिया जिले के तात्कालीन कलेक्टर एसएन राठौर ने बैकुंठपुर तहसील की पूर्व तहसीलदार के खिलाफ 2018-2019 एवं 2019-2020 में भूमि खरीदी बिक्री संबंधी एक मामले में जिसमें भूमिस्वामी अरविंद सिंह निवासी ग्राम जुनापारा की मृत्यु के पश्चात मुख्तयारनामा के आधार पर रजिस्ट्री की गई थी और नामांतरण भी कर दिया गया था के मामले में बैकुंठपुर की तात्कालीन तहसीलदार को प्रथम दृष्टया दोषी पाया था वहीं पूरे भूमि खरीदी बिक्री मामले में न तो किसी प्रकार की कोई जांच की गई थी न ही पक्षकारों को ही तहसील में बुलाकर पूछताछ किया गया था और पूरी बिक्री प्रक्रिया साथ ही नामातंरण की प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया था, जिसमें पूरी बिक्री कार्यवाही को तात्कालीन कलेक्टर कोरिया ने दोषपूर्ण मानते हुए वहीं 10 अन्य मामलों में भी जो बैकुंठपुर तहसील के ही तात्कालीन तहसीलदार ऋचा सिंह के समय के मामले थे जिनमें दोषपूर्ण कार्यवाही की शिकायत प्राप्त हुई थी और जिसमें भी प्रथम दृष्टया दोषपूर्ण कार्यवाही की संभावना को देखते हुए ही तात्कालिन कलेक्टर कोरिया एसएन राठौर ने पूरे मामले में तात्कालीन तहसीलदार पर विभागीय जांच संस्थित करने की अनुसंशा आयुक्त सरगुजा सहित शासन से की थी। वहीं वर्ष 2016 के एक मामले में जो भी तहसीलदार से ही जुड़ा हुआ था वहीं मामला रामानुजनगर जिला सूरजपुर में तहसीलदार के पदस्थ रहने के दौरान का था जिसमें भी तहसीलदार का एक वेतन वृद्धि लघु शास्ति मानते हुए रोकते हुए दण्डित किया गया था को भी विभागीय जांच संस्थित करने की अनुशंसा करते समय उलेखित किया गया था और लिखा गया था कि तहसीलदार के कार्यों में अपेक्षित सुधार नहीं होने के कारण और लगातार दोषपूर्ण कार्य संपादित किये जाने को लेकर ही यह विभागीय जांच आवस्यक नजर आ रही है और इसके लिए प्रस्ताव भेजा भी गया था।
इस प्रकार शुरू हुई थी जाँच प्रक्रिया
18 मार्च 2021 को संभागायुक्त ने तहसीलदार ऋचा सिंह को उनके विरुद्ध अनियमितता संबंधी विभागीय जांच जारी करने हेतु आरोप पत्र प्रेषित किया गया था, जिसमे उन्होंने उनसे जांच में उनकी तरफ से यह जानकारी पत्र के माध्यम से चाही गई थी कि वह जांच किस तरह से चाहती हैं वह अवगत कराएं। संभागायुक्त कार्यालय से 22 मार्च 2021 को इस आशय का पत्र लिखा गया था। पूरे मामले में संभागायुक्त के आरोप पत्र के जवाब में तहसीलदार ऋचा सिंह ने 5 अप्रेल को दिए अपने जवाब में लिखा था कि जिन मामलों में विभागीय जांच उनके विरुद्ध की जानी है उससे संबंधित सभी दस्तावेज पुलिस द्वारा अन्य जांच मामले में अपने अधीन रखा गया है और जिसकी वजह से वह जवाब दे पाने में समर्थ नहीं हैं। लेकिन तहसीलदार द्वारा दिये गए जवाब के 6 माह बीत जाने के बावजूद भी जांच जारी नहीं कि जा सकी है और न ही इस बात की ही पुष्टि हो पा रही है कि दस्तावेज पुलिस के पास से वापस राजस्व विभाग को प्राप्त हुए की नहीं, वहीं इसी दौरान जांच संस्थित करने की अनुशंसा व आरोप पत्र जारी करने के दरम्यान ही तहसीलदार का तबादला सूरजपुर जिले के लिए कर दिया गया वहीं तबादले के बाद से ही पूरा मामला ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि पूरा मामला चूंकि बैकुंठपुर से संबंधित था व बैकुंठपुर में तहसीलदार के रहते हुए मामले को दबाया नहीं जा सकता है कई शिकायतें रोज तहसीलदार के खिलाफ आ भी रहीं थीं ऐसे में उनका तबादला भी सोची समझी रणनीति के तहत किया गया जिससे मामले को लोगों के ध्यान से हटाया जा सके।
आखिर कब होगी जांच पूरी
पूरे मामले में जब तात्कालीन कलेक्टर कोरिया ने विभागीय जांच की अनुसंशा शिकायतों को प्रमाणित मानते हुए की वहीं संभागायुक्त ने भी आरोप पत्र जारी कर जवाब देने हेतु तहसीलदार को निर्देशित किया उसके बावजूद जांच जारी नहीं किये जाने से अब पूरा मामला किसी तरह समाप्त किया जा सके ऐसा प्रयास किया जा रहा है यह सपष्ट समझा जा सकता है। जबकि तहसीलदार मामलें में शिकायतों का अंबार भी है वहीं कई मामलों में तथ्य भी मौजूद हैं।
100 खबर लिखी तब जाकर विभागीय जांच हुई संस्थित
महिला आयोग में की गई शिकायत में अपना पक्ष रखते हुए आयोग के सामने बैकुंठपुर की तत्कालीन तहसीलदार ऋचा सिंह ने कहा कि मेरे खिलाफ 100 खबरें बेवजह छापी गईं है और मुझे परेशान किया गया है, जबकि तहसीलदार से पूरा जिला परेशान था जिनकी परेशानियों को घटती घटना ने बड़ी प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था जिन की खबरों के बाद उनके ऊपर विभागीय जांच के आदेश जारी हुए थे इस बात का पूरा कोरिया जिला गवाह है 100 खबरें छपने के बाद इनके ऊपर विभागीय जांच के आदेश जारी हुए सही मायने में तो इनके ऊपर एफआईआर होना चाहिए था एफआईआर से बचने के लिए विभागीय जांच शुरू की गई और जांच भी अभी तक शुरू नहीं हो सकी कब बनेगी कमेटी? और कब होगा जांच शुरू? अब लगता है 201 खबरें छपने के बाद ही इनके ऊपर कार्यवाही हो सकेगी यही तय भी दिख रहा है।
बैकुंठपुर विधायक बन रही हैं तहसीलदार की मददगार
सूत्रों की मानें तो बैकुंठपुर की पूर्व तहसीलदार जिनके विरुद्ध कलेक्टर कोरिया द्वारा शिकायतें प्राप्त होने पर विभागीय जांच संस्थित करने की अनुसंशा की गई है और जिसमे आरोप पत्र भी तहसीलदार को जारी हुए लंबा समय बीत चुका है मामले में बैकुंठपुर विधायक तहसीलदार की मददगार बनी हुई हैं।मामले में सत्ताधारी दल के विधायक के हस्तक्षेप की वजह से वरिष्ठ अधिकारी भी जांच में हिल हवाला कर खुद बचने का प्रयास कर रहें हैं,जबकि जिन मामलों में तहसीलदार की शिकायत व शिकायत पर जांच की जानी है उसमें पीçड़त बैकुंठपुर विधानसभा के ही आम लोग हैं,ऐसे में विधायक का आम लोगों का साथ छोड़कर तहसीलदार के पक्ष में खड़ा होकर उनको बचाने का प्रयास आलोचना का विषय बन रहा है। लोगों का कहना है कि विधायक कभी भी इतनी सक्रिय आम लोगों के लिए उनकी समस्याओं के लिए नहीं दिखीं जितनी तहसीलदार मामले में तहसीलदार को बचाने में सक्रिय हैं।
तहसीलदार द्वारा जांच हेतु वांछित दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने पर होगी जांच
सरगुजा संभाग की आयुक्त का पूरे विषय पर कहना है कि अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंप दिया गया है, वहीं तहसीलदार से जांच हेतु शिकायतों के संदर्भ में दस्तावेज मांगे गए हैं, तहसीलदार द्वारा दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने के बाद ही जांच संभव हो सकेगी। 6 महीने में कमिश्नर के पत्र के बावजूद तहसीलदार ने अभी तक दस्तावेज अपना जवाब प्रस्तुत नहीं कर पाए जो एक बहुत बड़ा सवाल है एक बार फिर दस्तावेज मांगी गई है ताकि जाँच शुरू हो सके।