शहर वासियों ने लगाया आरोप का निर्माण में ठेकेदार की लापरवाही और अधिकारियों का संरक्षण
नगर पालिका में जल आवर्धन योजना के पाइप लाइन विस्तार कार्य के क्रियांवयन,नगर पालिका और ठेकेदार की लापरवाही और अधिकारियों का संरक्षण का आरोप
बैकु΄ठपुर 17 सितम्बर 2021 (घटती-घटना)। लाखों रुपए खर्च कर जल आवर्धन योजना के तहत बैकुंठपुर नगर पालिका के हर घर तक पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल पहुंचा ना है पर ठेकेदार व अधिकारियों की सांठगांठ से जल आवर्धन योजना का निर्माण में भारी अनियमितताएं बरती जा रही है जिसे लेकर शहर वासी कलेक्टर कोरिया से शिकायत कर भुगतान और निर्माण कार्य की जांच व कार्यवाही करने की मांग की है नगर पालिका बैकुंठपुर क्षेत्र के निवासी आम नागरिक है हमारे शहर में बीते तीन वर्षो से अलग अलग स्थान पर जल आवर्धन योजना के तहत पेयजल के लिए नई पाईप लाइन विस्तार का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में नगर पालिका के अधिकारियों के संरक्षण की वजह से ठेकेदार मनमानी पर उतर आया है और कुछ दिन पूर्व बनी सड़कों को खोदकर यथास्थिति बनाए बगैर जस का तस छोड़कर आगे बढ़ता जा रहा है जिससे नवनिर्मित बनी सड़कों में गढ़ढे हो रहे है सड़क टूट रही है।
ठेकेदार द्वारा कार्य में भारी अनियमितताएं बरती जाने का आरोप
पाइप लाइन भूमि पर खोद कर डालने के बाद पाइप में पानी डालकर हाइड्रो टेस्ट किया जाना था, परन्तु शहर में एक भी स्थान पर हाइड्रो टेस्ट नहीं किया गया है। इस टेस्ट के द्वारा कुछ दूरी तक पाईप डालकर पानी भरकर प्रेशर देकर टेस्ट किया जाता है ताकि पाइप से पानी लिक तो नहीं है, बाद में यदि सीमेंट मिट्टी से भर देने के बाद यदि लिकेज सामने आता है तो बाद में बड़ी परेशानी होने की संभावना होती है। परन्तु ठेकेदार द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। पाइप विस्तार के रेस्टोरेशन पार्ट में भी अनियमितताएं देखी जा रही है, पाइप डालने के बाद मिटट्टी नहीं डाली जानी चाहिए, क्योंकि मिट्टी बाद में बैठ जाती है, तो पाइप डालने के बाद रेत या मुरूम डाली जानी चाहिए, हाइड्रो टेस्ट के बाद सीमेंट क्रांक्रीट या बीटी का कार्य किया जाना चाहिए, रेस्टोरेशन पार्ट में लापरवाही बरती गई है।
रेस्टोरेशन पार्ट में बीटी रोड पर जहां गढ्ढा खोद कर पाईप डालने के बाद सीमेंट क्रांक्रीट का कार्य किया गया है जो कि गलत है, क्योंकि जहां सीमेंट और डामर का जोड़ है वहां गढ्ढा हो जाएगा। इसका ध्यान नहीं रखा गया है, जबकि सीमेंट क्रांक्रीट करने के पूर्व डब्ल्यूबीएम करना चाहिए था उसके बाद बीटी या सीमेंट क्रांक्रीट किया जाना चाहिए था। ऐसा न करके कई स्थान पर अनियमितताएं बरती गई है।
ठेकेदार द्वारा गेज नदी में पुराने इंटकवेल के पास नया इंटकवेल का निर्माण किया जा रहा है
पाइप डाल कर सड़क के साइड में मिट्टी छोड़ते जा रहे है, जिससे सड़क की चौड़ाई कम होती जा रही है, अतिक्रमण बढ़ रहा है। उठा नही रहे है नव निर्मित बीटी सड़क खराब हो रही है। ऐसा पूरे शहर में देखा जा रहा है।ठेकेदार द्वारा गेज नदी में पुराने इंटकवेल के पास नया इंटकवेल का निर्माण किया जा रहा है। नए के लिए खोदी गई गाद (मिट्टी) को वही छोड़ दिया गया है। एक तो पहले से ही गर्मी में पुराने इंटकवेल से पीने पानी की बड़ी समस्या होती है, उस समय गाद को हटाने नगर पालिका को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इस योजना के बनाए जा रहे ओवरहेड टैंक में पुरानी लाइन और नई पाईप लाइन को मर्ज करने का भी प्रावधान रखा गया है, ठेकेदार द्वारा इसे मर्ज करने के लिए किस तरह की रणनीति बनाई गई है क्या दुबारा शहर को खोदकर ओवरहैड टैक तक पाइप को जोड़ा जाएगा, इसके लिए उसका क्या प्लान है ताकि शहर की सड़कों की दुबारा खुदाई ना हो सके।
शहर में अलग अलग साईज के पाईप डाले गए
शहर में जारी पाईप लाइन डालने के कार्य में डाले गई पाइप की लेवलिंग कहीं नहीं की गई हैं, पूरे शहर में अलग अलग साईज के पाईप डाले गए है, एकरूपता के साथ लेवलिंग बेहद जरूरी कार्य होना था, परन्तु बिना किसी इंजीनियर की उपस्थिति में जैसे तैसे पाइप डालकर काम किया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा शहर भर में पाइप डालने के लिए खोदे स्थान को वैसा ही छोड़ दिया गया है। जबकि उसे पूर्व की स्थिति की भांति करके देना है। ठेकेदार द्वारा खोदी गई सड़क के कारण कई जगह पाईप लाइन टूट चुकी है, कई स्थान पर बीते एक माह से पानी बह रहा है, इसकी सुध ना तो नगर पालिका के अधिकारियों ने लिया है और ना ठेकेदार ने जिला अस्पताल के लगी पाइप लाइन से पानी एक माह से ज्यादा समय से व्यर्थ बह रहा है।
सरकारी राशि का ज्यादा खर्च,कम खर्च पर भी हो सकता था कम
नगर पालिका द्वारा मार्गदर्शन संस्थान के पास गेज नदी के किनारे एक स्टॉपडेम का निर्माण करवाया है, यहां यदि इंटकवेल बनता तो पानी को फिल्टर प्लांट तक ले जाने में काफी कम राशि खर्च होती, परन्तु यहां ना बना को काफी दूर पहले वाली जगह ही इंटकवेल बनाया जा रहा है, जिससे सरकारी राशि जयादा खर्च हो रही है। वर्ष 2006 में जो फिल्टर प्लांट का निर्माण कराया गया बीते 15 साल से उक्त प्लांट में कई खामियां सामने आई, परन्तु अब जो नया फिल्टर प्लांट बनाया जा रहा है वो 2006 के बने प्लांट का कॉपी है, इसमें कुछ भी नया नहीं किया गया है, ऐसे में इसका नया संस्करण. आने वाले समय में बढ़ती आबादी को देखते हुए और कुछ बड़े शहरों के फिल्टर प्लांट का अध्ययन कर बनाया जाना चाहिए।
ठेकेदार की लापरवाही की वजह से शहरवासियों का बड़ा खर्च
ठेकेदार द्वारा जहां जहां पाईप लाइन को तोड़ा गया है वहां के लोगों ने अपने से पैसो खर्च करके उक्त टूटी पाईप लाइन को बनवाया है, नगर पालिका ने टूटी पाइप लाइन के सुधान कार्य के लिए मैकेनिक तो दे दिए परन्तु पाईप से जुडी सामग्री लोगों ने स्वयं के पैसे खर्च कर लाए तब जाकर उनके घर में पीने का पानी आ पाया है। ठेकेदार को अभी तक नगर पालिका द्वारा किए भुगतान की जांच कराई जाए। नगर पलिका में वाटर मैनेजमेंट को लेकर प्रशिक्षित इंजीनियर नहीं है, ऐसे में इस पूरे निर्माण कार्य में पीएचई को संलग्न किया जाना बेहद जरूरी है, उनकी मंजूरी के बाद ही कार्य को अंतिम रूप से सही माना जाए।